Chapter 3 Kathputli Solutions
April 4, 2025Chapter 5 Papa Kho Gaye Solutions
April 4, 2025NCERT Solutions: मिठाई वाला
प्रश्न – अभ्यास
कहानी से
प्रश्न 1: मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर: मिठाईवाले के बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। जब बच्चे अपनी मधुर आवाज़ में उससे अलग-अलग चीजें माँगते तो ऐसे लगता जैसे वह अपने बच्चों की फरमाइशें पूरी कर रहा हो। वह कई महीनों बाद आता था क्योंकि उसे पैसों का कोई लालच न था। वह तो केवल अपने मन को संतुष्ट करने के लिए बच्चों की मनपसंद चीजें बेचा करता था। दूसरे बच्चों में अपने बच्चों की झलक पाकर संतोष, धैर्य तथा सुख का अनुभव करता था।
प्रश्न 2: मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खीचें चले आते थे?
उत्तर: मिठाईवाले में अनेक गुण थे, जिसके कारण बच्चे, बड़े और बूढ़े भी उनकी ओर खिंचे चले आते थे। उनमें विशेष प्रकार के कई गुण मौजूद थे, उनमें थे
(क) उसका स्वर बहुत मीठा था। वह गा-गाकर चीजें बेचता था।
(ख) उसका स्वभाव अत्यंत विनम्र था। वह मृदुभाषी तथा सहनशील था।
(ग) बच्चों के प्रति उसका व्यवहार अत्यंत मृदु, प्रेमपूर्वक एवं कोमल था।
(घ) वह सदैव फायदे के चक्कर में नहीं रहता था। पैसे नहीं होने पर भी वह खिलौने या अन्य वस्तुएँ मुफ्त में दे दिया। करता था।
(ङ) वह बच्चों की पसंद की नई-नई वस्तुएँ लाया करता था। उसके हृदय में बच्चों के लिए ममता थी।
प्रश्न 3: विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर: विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता अर्थात् सामान बेचने वाला। विक्रेता ने स्वभावानुसार यह तर्क दिया कि सबको तो तीन रुपए की मुरली दी है लेकिन आपको दो रुपए की दे रहा हूँ क्योंकि हर दुकानदार ग्राहक को प्रसन्न करने हेतु ऐसा कहता है। दूसरी ओर विजय बाबू ने ग्राहक के स्वभावानुसार इस तर्क को काटा कि तुम लोग तो झूठ बोलते हो। तुमने सभी को ही इतने की दी होगी लेकिन मुझ पर ही अहसान जताना चाहते हो। वास्तव में किसी भी चीज के मोल-भाव करने के समय ऐसा संवाद क्रेता और विक्रेता के मध्य हो ही जाता है।
प्रश्न 4: खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: खिलौनेवाले की मधुर आवाज सुनकर बच्चे चंचल हो उठते। उसके स्नेहपूर्ण कंठ से फूटती हुई आवाज़ सुनकर निकट के मकानों में हलचल मच जाती। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लिए स्त्रियाँ भी चिकों को उठाकर छज्जों पर से नीचे झाँकने लगतीं। गलियों तथा उनके भीतर स्थित छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का समूह उसे घेर लेता और तब वह खिलौनेवाला अपनी खिलौनों की पेटी वहीं खोल देता।
प्रश्न 5: रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो गया?
उत्तर: रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि वह आवाज़ जानी-पहचानी थी। खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था। मुरलीवाला भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।
प्रश्न 6: किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर: रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने बताया कि उसकी पत्नी और बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह इन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता है बच्चों के साथ रहकर उसे बहुत अच्छा लगता है। बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर उसे असीम संतोष मिलता है। धैर्य और असीम सुख की प्राप्ति होती है इसलिए उसने इन व्यवसाय को अपनाया है। उसे पैसे का कोई लालच नहीं है वह बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चाहता है और उन्हें खुश देख कर खुश होता है।
प्रश्न 7: ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: पहली बार किसी ने उसके प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई और उसके दुख को समझने का प्रयास किया और पहली बार किसी ने उसके परिवार के बारे में पूछा था और पहली बार ही उसने अपने बीवी बच्चों के बारे में किसी को बताया था और जब चुन्नू मुन्नू ने आकर मिठाई मांगी तो उसे ऐसा लगा कि मानो वह उसके खुद के बच्चों को मिठाई दे रहा है। इसलिए कहानी के अंत में मिठाई वाले ने, “अब इस बार यह पैसे ना लूंगा ‘ कहा।
प्रश्न 8: इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर: हमारी राय में यह पूर्णतया गलत है क्योंकि स्त्री पुरुष दोनों समाज के आधार हैं और दोनों को समान दर्जा मिलना चाहिए। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान ने स्त्री पुरुष को समान अधिकार दिए हैं। बड़े शहरों में कोई भी औरत ऐसे बात नहीं करती, सभी सामने से ही बात करती हैं। परंतु आज भी कुछ पिछड़े हुए ग्रामीण रूढ़ीवादी और कुछ जाति विशेष परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है। यह प्रथा न केवल स्त्रियों की स्वतंत्रता का हनन करती हैं बल्कि उनकी प्रगति में रुकावट उत्पन्न करती है। इस प्रकार की प्रथाएं हमारी देश की प्रगति को रोकती हैं और देश की छवि को विश्व पटल पर धूमिल करती हैं। इसलिए ये प्रथा हमारी राय में बिल्कुल उचित नहीं है।
कहानी से आगे
प्रश्न 1: मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर: मिठाई वाले का परिवार किसी दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। कहानी – एक गांव में एक केमिस्ट की दुकान थी। वह दवाइयां बहुत महंगी बेचता था और किसी पर दया नहीं करता था। उसका छोटा सा परिवार था जिस में उसकी पत्नी और उसका एक बेटा था। वह किसी जरूरतमंद को भी कम रेट में दवाई नहीं देता था। अगर किसी के पास पैसे नहीं होते थे तो वह कहता था पहले पैसे लेकर आओ फिर दवाई दूंगा। इस तरह उसने बहुत सारा पैसा इकट्ठा कर लिया। एक दिन उसकी पत्नी और बेटा दोनों बहुत बीमार हो गए जितना पैसा दवाई वाले ने कमाया था, सारा उनके इलाज में चला गया पर वह अपनी पत्नी और बेटे को ना बचा पाया। अब उसको बहुत पछतावा हुआ कि उसने गलत तरीके से पैसा इक्टठा किया और वह इतने वर्षों के बाद भी इस हादसे को भूल नहीं पाया उसने अपने घर को एक अनाथ आश्रम में बदल दिया और वह अनाथ बच्चों को पालने लगा अनाथ बच्चों को पालने में उसको बहुत खुशी प्राप्त होने लगी। इन बच्चों में वह अपने बेटे की खुशी ढूंढता था। इन बच्चों को खुश देखकर उसको असीम संतोष की प्राप्त होती थी।
प्रश्न 2: हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन-सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर: हाट मेले, शादी आदि आयोजनाओं में हमें गोलगप्पे, चाट, छोले भटूरे, मिठाइयां, फ्रूट चाट, जलेबियाँ, समोसे, गन्ने का जूस, झूले, जादूगर का खेल, रंग-बिरंगे गुब्बारे, आइसक्रीम, खिलौने, जुदाई, तमाशे आदि सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। इनको बनाने में विभिन्न लोगों का हाथ होता है जैसे मिठाई बनाने में हलवाई का हाथ होता है। झूले बनाने में श्रमिकों और कारीगरों का और उसके परिवार का हाथ होता है। उनके चेहरे के पीछे उनकी मेहनत, पसीना, पैसे कमाने की इच्छा, थकान, कारीगरी छुपी होती है।
प्रश्न 3: इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए।
उत्तर: मिठाईवाले की कहानी हमें पिता के प्रेम के बारे में बताती है। इस मिज़ाज की और कहानियां है जैसे कि ‘बेस्ट पापा’ और ‘अच्छी सीख’।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1: आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर: हमारी गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले आते हैं जैसे सर्दियों में मूंगफली वाला आता है और गर्मियों में आइसक्रीम वाला, कुल्फी वाला, बर्फ का बर्फ के गोले वाला, गन्ने के रस वाला आता है। हर मौसम में जैसे चाट वाला, फल वाला, सब्जी वाला, खिलौने वाला, कपड़े बेचने वाला जैसे चादरें, लेडीजसूट बेचने वाला आदी आते हैं। उनसे बातचीत के दौरान मुझे यह मालूम हुआ कि यह लोग पूंजी के अभाव में घूम घूम कर कम दामों पर अपनी चीजें भेजते हैं और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं। अगर इनके पास पूंजी होती तो यह भी बड़े दुकानदार होते।
प्रश्न 2: आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर: पहले जमाने में स्त्रियां बाजार जा कर सामान नहीं खरीदती थी और हर जगह सभी वस्तुएं उपलब्ध नहीं होती थी। इसलिए प्रत्येक वस्तु फेरी वाला ही बेचने आया करता था। वह मधुर स्वर में गागा कर अपना समान बेचा करते थे। लेकिन आज कल फेरी वालों की संख्या में काफी कमी आ गई है लोग ब्रांडेड सामान खरीदना पसंद करते हैं और वे ज्यादातर दुकानों से ही सामान खरीदते हैं। या लोग समानऑनलाइन ही मंगवा लेते हैं।
प्रश्न 3: आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर: लोगों की रूचि फेरी वालों से सामान खरीदने में कम होती जा रही है क्योंकि फेरीवाले के पास ज्यादा विकल्प नहीं होता और उसका सम्मान अच्छी किस्म का भी नहीं होता। वक्त के साथ फेरीवाला के स्वर कम हुए हैं क्योंकि अब लोग दुकानों पर जा कर सामान खरीदते हैं और दुकानों में उन्हें ज्यादा विकल्प मिलते हैं और फेरीवाले के पास सीमित विकल्प होते हैं। करोना महामारी के कारण भी अब लोग समान ऑनलाइन खरीदते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1:
ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
उत्तर: (क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द जैसे मिठाई शब्द संज्ञा है तथा बोलना क्रिया है।
(ख) यह शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में है। मिठाईवाला शब्द विशेषण है जबकि बोलने वाली गुड़िया में गुड़िया संज्ञा है जबकि बोलने वाला शब्द विशेषण है जो गुड़िया की विशेषता बता रहा है।
प्रश्न 2: “अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”
- उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ते बटुली।
- ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।
उत्तर:
- उपर्युक्त वाक्यों में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान देने पर पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है; जैसे-भोजपुरी में-दो ठो आम, चार ठो समोसा, एक ठो लड़का।
- चार नग टोपी।
प्रश्न 3:
- भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते आप ये बातें कैसे कहेंगे?
उत्तर:
- “लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं?”
- “भैया, इस मुरली का मूल्य क्या है?”
- “दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा जाकर उसे कमरे में बुलाओ।”
कुछ करने को
प्रश्न 1: फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए दो-दो के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवाले से बात करें।
उत्तर: फेरीवाले का जीवन काफी कठिन होता है। वह अपना समान बेचने के लिए सुबह से शाम तक गलियों में चक्कर लगाते रहते हैं और चाहे उनका सामान बीके या ना बीके। उनका घर निकट किसी गांव में होता है उनके जीवन में अनेक समस्याएं होती होगी जैसे समान ना बिकना, समान का खराब हो जाना या खराव हो जाना। गलियों में घूमते घूमते तबीयत खराब हो जाना। अधिक बारिश होने पर भी उनका सामान का खराब हो जाना और अधिक गर्मी पड़ने से घर से बाहर निकल पाना या घर से बाहर निकलने पर तबीयत का खराब हो जाना। कभी-कभी फेरी वालों को अपना बचा हुआ सामान जो खराब हो चुका है उनको फेंकना पड़ता होगा कभी-कभी खरीद से भी कम कीमत में भी माल बेचना पड़ता होगा जिससे इनका मूलधन डूब जाता होगा और इनको कई समस्या का सामना करना पड़ता होगा जैसेअपने बच्चों के ख्वाहिशें पूरी ना कर पाते होंगे। हो सकता है कि उनको दो समय की रोटी का इंतजाम भी ना होता होगा और उनको सोने की व्यवस्था भी शायद ना होती होगी। हो सकता है बारिश के दिनों में उनके घर की छत पर से पानी टपकता होगा क्योंकि वह बहुत गरीब होते हैं इन सब सभी समस्याओं का उनको सामना करना ही पड़ता होगा।
प्रश्न 2: इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर: फेरी वाले के जीवन से हमें इस बात का पता लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है जैसे मिठाई वाले के बच्चे और पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी वह दूसरों के बच्चों को दूसरों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनको उनके मनपसंद का समान ला कर बेचता था जब बच्चे समान लेकर खुशी में उछल कूद करते थे तो उन्हें देखकर उसे संतोष धैर्य और सुख की अनुभूति होती थी वह उन्हीं बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनको सामान कम कीमतों में देकर अपने गम को भुलाने की कोशिश करता था इसलिए कहा भी है कि दुख बांटने से कम होता है।
प्रश्न 3: अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर: मिठाई वाले का स्वर बहुत मधुर था। वह दुबले पतले शरीर वाला और उसकी आंखों का रंग भूरा था। सिर पर टोकरी रखे हुए गली गली अपना सामान बेचते हुए पैरों में चप्पल पहने हुए गली – गली, पजामा कुर्ता पहनने और कंधे पर गमछा लिए चलता होगा। उसके कंधों को फेरी का समान होता होगा और वह सिर पर पगड़ी बांधता होगा। फेरी के सम्मान में खिलौने, मिठाईयां आदि और जिसमें खट्टी मीठी स्वादिष्ट सुगंधित गोलियां होगी और वह जब मीठे स्वर में आवाज लगाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़ कर उसे घेर लेते होंगे।