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मेरी समझ से (पृष्ठ 62)
Q1. निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?
भलाई के कार्य करते रहना
दीवाली के दीपक जलाना
बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
तिमिर तले तक दीप चलाते रहना (⭐)
Ans: तिमिर तले तक दीप चलाते रहना
Q2. “जला दीप पहला तुमने ही तम की, चुनौती पहली बार स्वीकार की थी” यह बात किससे कहा गया है?
तिमिर से
युगों से
दीपकों से (⭐)
दीवार से
Ans: दीपकों से
मिलकर करें मिलान (पृष्ठ 62)
Q1. कविता में से चुनकर कुछ शब्द यहाँ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए।
शब्द | अर्थ या संदर्भ |
---|---|
अंधकार | प्रकाश की कमी |
तम | अंधेरा |
दीप्त | चमकता हुआ |
प्रकाश | उजाला |
पंक्तियों पर चर्चा (पृष्ठ 63)
Q1. “दिये और तूफान की यह कहानी चली आ रही और चलती रहेगी, जली जो प्रथम बार लौ दीप की स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।”
Ans: इस पंक्ति का मतलब है कि दीप और तूफान की कहानी सदा से चली आ रही है और चलती रहेगी। पहला दीप जो जलाया गया था, वह आज भी जल रहा है और जलता रहेगा।
सोच-विचार के लिए (पृष्ठ 64)
Q1. कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेख पुस्तक में लिखिए—
(क) कविता में अंधेरे या तिमिर के लिए किस स्थिति के उदाहरण दिए गए हैं?
Ans:
अंधकार को रात के साथ तुलना की गई है।
तम का अर्थ अंधेरा भी होता है।
(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
Ans:
यह आशा की गई है कि दीये जलाते रहने से अंधकार अवश्य ही दूर होगा।
आशा इसलिए की गई है क्योंकि निरंतर प्रयास से ही परिवर्तन संभव है।
(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है?
Ans: दीये को जलाने और अंधकार को बुझाने की बात कही गई है।
कविता की रचना (पृष्ठ 64)
Q1. “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर कभी तो धरा का अंधेरा कटेगा।”
Ans: इस पंक्ति का मतलब है कि स्नेह के दीये जलाते रहने से एक दिन धरा का अंधकार अवश्य दूर होगा।
मिलान (पृष्ठ 64)
Q1. स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़िए।
Ans:
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
---|---|
कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। | दिशा की भलाई का ध्यान रखें। |
जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। | दिशा में संयोग-शांति क्यों न होती जा रही है? |
मगर दिशा पर आज क्यों दिवस ही में धुंध आ रही है अमावस दिशा-सी। | दिशा की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा। |
जब स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, क्यों पथ मिल सकेगा। | दूसरों के संयोग-चैन के लिए प्रयास करते रहिए। |
अनुमान या कल्पना से (पृष्ठ 65)
Q1. “दिये और तूफान की यह कहानी चली आ रही और चलती रहेगी”
दीपक और तूफान की यह कौन-सी कहानी हो सकती है जो सदा से चली आ रही है?
Ans. यह कहानी संघर्ष और समर्पण की हो सकती है।
Q2. “जली जो प्रथम बार लौ दीप की स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है जो अनगिनत सालों से जल रही है?
Ans. यह लौ सच्चाई और समर्पण की हो सकती है।
शब्दों के रूप (पृष्ठ 65)
Q1. “कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
“अमावस” का अर्थ है “अमावस्या”। इन दोनों शब्दों का अर्थ तो समान है लेकिन इनके लिखने-बोलने में थोड़ा-सा अंतर है। ऐसे ही कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनमें मिलते-जुलते दूसरे शब्द खोजकर लिखिए।
शब्द कविता से खोजकर लिखिए। ऐसे ही कुछ अन्य शब्द आपस में चर्चा करके खोजिए और लिखिए।
शब्द | कविता से |
---|---|
दिया | दिया जलाते रहो |
उजेला | उजाला हो |
अमिग | अमावस से पूर्णिमा |
अर्थ की बात (पृष्ठ 66)
(क) “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर”
इस पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर पढ़िए। इस शब्द के बदलने से पंक्ति के अर्थ में क्या अंतर आ रहा है?
Ans: ‘चलो’ का अर्थ है चलते रहना, लगातार कार्य करते रहना। ‘रहो’ का अर्थ है स्थिर रहना, एक स्थान पर बने रहना। ‘चलो’ शब्द में निरंतरता और गतिशीलता का भाव है जबकि ‘रहो’ शब्द में स्थिरता और ठहराव का भाव है।
(ख) कविता में प्रत्येक शब्द का अपना विशेष महत्व होता है। यदि वे शब्द बदल दिए जाएँ तो कविता का अर्थ भी बदल सकता है और उसकी सुंदरता में भी अंतर आ सकता है।
नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। पंक्तियों के सामने लगभग समान अर्थ वाले कुछ शब्द दिए गए हैं। आप उनमें से वह शब्द चुनिए, जो उस पंक्ति में सबसे उपयुक्त रहेगा—
बहाते चलो …….. तुम वह निरंतर (सेवा, नाव, नैया)
Ans: नाव
कभी तो तिमिर को …….. मिलेगा। (तट, तीर्थ, किनारा)
Ans: किनारा
रहेगा …….. पर दिया एक भी यदि (धरा, धरती, भूमि)
Ans: धरा
कभी तो निशा को …….. मिलेगा। (प्रात:, सुबह, सवेरा)
Ans: सवेरा
जलता दीप पहला तुम्हीं ने …….. की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी (अंधकार, तिमिर, अँधेरा)
Ans: तिमिर
प्रतीक (पृष्ठ 66)
(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा
निशा का अर्थ है — रात
सवेरा का अर्थ है — सुबह
आपने अनुभव किया होगा कि कविता में इन दोनों शब्दों का प्रयोग ‘रात’ और ‘सुबह’ के लिए नहीं किया गया है। अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि ‘निशा’ और ‘सवेरा’ का इस कविता में क्या-क्या अर्थ हो सकता है।
(संकेत — निशा से जुड़ा है ‘अंधेरा’ और सवेरा से जुड़ा है ‘उजाला’)
Ans: निशा और सवेरा शब्दों का प्रयोग इस कविता में अंधकार और उजाले के प्रतीक के रूप में किया गया है।
(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में मिलकर इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उपयुक्त स्थान पर लिखिए।
Ans:
शब्द | उपयुक्त स्थान |
---|---|
दिये | जलाना |
अंधेरा | काटना |
अमावस | निशा |
पूर्णिमा | सवेरा |
दिवस | दिन |
तिमिर | अंधकार |
नाव | जलना |
किनारा | छोर |
शिला | पत्थर |
ज्योति | प्रकाश |
उजेला | उजाला |
तूफान | आंधी |
लौ | दीपक की ज्वाला |
स्वर्ण | सोना |
जलता | जलने की क्रिया |
वर्त्तमान पत्र (पृष्ठ 72)
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Q1. दिए गए महीने में कुल कितने दिन हैं?
Ans:इस महीने में कुल 31 दिन हैं।
Q2. पूर्णिमा और अमावस्या किस तारीख और वार को पड़ रही है?
Ans: पूर्णिमा 6 तारीख को और अमावस्या 21 तारीख को पड़ रही है।
Q3. कृष्ण पक्ष की सप्तमी और शुक्ल पक्ष की सप्तमी में कितने दिनों का अंतर है?
Ans: कृष्ण पक्ष की सप्तमी 14 तारीख को और शुक्ल पक्ष की सप्तमी 28 तारीख को है। दोनों में 14 दिनों का अंतर है।
Q4. इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल कितने दिन हैं?
Ans: कृष्ण पक्ष में कुल 15 दिन हैं।
Q5. ‘बसंत पंचमी’ की तारीख बताइए।
Ans: बसंत पंचमी 26 तारीख को है।