Chapter 04 haar kee jeet Solutions
November 5, 2024Chapter 06 meree maan Text Book Solutions
November 5, 2024Chapter 05 रहीम के दोह Text Book Solutions
मेरी समझ से (Page no. 46)
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही (सटीक) उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा बनाइए—
Q1. “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग सिधार। आंतु कहि भीतर रही, जोत प्रकट जब काल।” इस दोहे का भाव क्या है?
सोच-समझकर बोलना चाहिए।
मधर वाणी में बोलना चाहिए।
धीरे -धीरे बोलना चाहिए।
सदा सच बोलना चाहिए।
Ans: सोच-समझकर बोलना चाहिए।
Q2. “रहिमन दहेज बडेन को, लघु न दीजिये डारि। जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।” इस दोहे का भाव क्या है?
तलवार सुई से बड़ी होती है।
सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।
तलवार का महत्व सुई से ज्यादा है।
हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।
Ans: हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।
अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?
Ans: (छात्र अपनी व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ देंगे)
मिलकर करें मिलान (Page no. 47)
Q1. पाठ में से कुछ दोहे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके भाव स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही भाव से मिलान कीजिए।
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
---|---|
1. रहिमन धागा पे्रम का, मत तोड़ो हिटकाय। टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।। | 1. प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए। |
2. कहि रहीम संहति सगे, बनत बहुत बकि रीति। बिझत कसौटी पर खरे, तेहि सांचे मीत।। | 2. सच्चे मित्र सुख-दुःख में भी साथ रहते हैं। |
3. तरुवर फल नहि खाते, सरवर पीहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संहि त संहति सुजान।। | 3. सज्जन बिना फल के भी दूसरों के हित में होते हैं। |
पंक्तियों पर चर्चा (Page no. 47)
Q1. “रहिमन बिझाई भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय।।”
Ans: इसका अर्थ है कि थोड़े समय का वियोग अच्छा होता है, जिससे यह पता चलता है कि कौन अपना हितैषी है और कौन नहीं।
Q2. “रहिमन हिह्ा बावरी, कहि गइ सरग सिधार। आंतु कहि भीतर रही, जोत प्रकट जब काल।”
Ans: इसका अर्थ है कि बिना सोचे-समझे बोले गए शब्द बाद में पछतावा कराते हैं।
सोच-विचार के लिए (Page no. 47)
Q1. “रहिमन धागा पे्रम का, मत तोड़ो हिटकाय। टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।”
(क) इस दोहे में ‘जुड़े’ के स्थान पर ‘डर’ और ‘हिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ शब्द का प्रयोग भी लोक में प्रचलित है। जैसे—
Ans: “रहिमन धागा पे्रम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर न डर, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।”
(ख) इस दोहे में पे्रम के उदाहरण में धागे का प्रयोग क्यों किया गया है? क्या आप धागे के स्थान पर कोई अन्य उदाहरण सुझा सकते हैं? अपने सुझाव का कारण भी बताइए।
Ans: धागा बहुत नाजुक होता है और आसानी से टूट सकता है, ठीक वैसे ही प्रेम भी नाजुक होता है और गलतफहमियों से टूट सकता है। धागे के स्थान पर ‘संपर्क’ या ‘भरोसा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि ये भी बहुत नाजुक होते हैं और इन्हें भी सहेज कर रखना पड़ता है।
Q2. “तरुवर फल नहि खाते, सरवर पीहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संहि त संहति सुजान।।”
Ans: इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से मनुष्य के किसी मानवीय गुण की बात की गई है। पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते और न ही सरोवर अपना जल पीते हैं। इसी प्रकार सज्जन व्यक्ति दूसरों के हित में कार्य करते हैं।
शब्दों की बात (Page no. 48)
Q1. कविता में आए कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इन शब्दों को आपकी मातृभाषा में क्या कहते हैं? लिखिए।
कविता में आए शब्द | मातृभाषा में समानार्थक शब्द |
---|---|
तरुवर | पेड़ |
बिझित | बुद्धिमान |
हिटकाय | झटका |
सुजान | सज्जन |
सरवर | तालाब |
सांचे | सत्य |
काल | समय |
Q2. शब्द एक और अर्थ अनेक
“रहिमन पानी राहिये, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानस, चून।।”
इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं— जल, सम्मान, और चमक।
इसी प्रकार कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आप भी इन शब्दों के तीन-तीन अर्थ लिखिए।
शब्द | अर्थ 1 | अर्थ 2 | अर्थ 3 |
---|---|---|---|
कल | समय | कला | शाखा |
मित | मित्र | सहायता | सहयोग |
कर | हाथ | करना | कार्य |
फल | परिणाम | फल (फलदार) | सफलता |