Chapter 9 Ek Tinka Solutions
April 4, 2025Chapter 9 Ek Tinka Solutions
April 4, 2025NCERT Solutions: रहीम के दोहे
प्रश्न-अभ्यास
दोहे से
प्रश्न 1: पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर: उदाहरण वाले दोहे –
(i) तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान||
(ii) थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात||
(iii) धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह||
कथन वाले दोहे –
(1) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत||
(2) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह||
प्रश्न 2: रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर: रहीम ने आश्विन (क्वार) के महीने में आसमान में छाने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए धनी व्यक्तियों से इसलिए की है, क्योंकि दोनों गरजकर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते। बादल बरस नहीं पाते, निर्धन व्यक्ति का धन लौटकर नहीं आता। जो अपने बीते हुए सुखी दिनों की बात करते रहते हैं, उनकी बातें बेकार और वर्तमान परिस्थितियों में अर्थहीन होती हैं। दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनी तथा क्वार के गरजने वाले बादल निर्धन कहे जा सकते हैं।
दोहे से आगे
प्रश्न: नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए-
(क) तरुवर फल……………….सचहिं सुजान||
(ख) धरती की-सी……………….यह देह||
उत्तर: (क) इस दोहें के द्वारा रहीम कहना चाहते है कि जैसे सरोवर अपना पानी नही पीता है और वृक्ष अपना फल नहीं खाता है, उसी तरह सज्जन व्यक्ति द्वारा एकत्रित किया गया धन अपने लाभ के लिए नही बल्कि दुसरो के भलाई के लिए खर्च होता है।
(ख) इस दोहे से रहीम हमें धरती के जैसे सहनशील होने के उपदेश दे रहे है। कवि कहते हैं कि अगर हम सच को स्वीकार कर लें ,तो हम जीवन की सुख – दुख की स्तिथि में एक समान व्यवहार कर पाएंगे।
भाषा की बात
प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित-हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े (रे, ड़े)उत्तर:
- बिपति – विपत्ति
- बादर – बादल
- मछरी – मछली
- सीत- शीत
प्रश्न 2: नीचे दिए उदाहरण पढ़िए-
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
- चारू चंद्र की चंचल किरणें (यहाँ ‘च’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
- रघुपति राघव राजा राम (यहाँ ‘र’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
- विमल वाणी ने वीणा ली (यहाँ ‘व’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
- मुदित महीपति मंदिर आए (यहाँ ‘म’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
- तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहुछाए (यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
जहाँ एक ही वर्ण की आवृति एक से अधिक बार की जाए वहाँ ‘अनुप्रास’ अंलकार होता है।